Aparna Sharma

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लेखनी कहानी -#१५ पार्ट सीरीज चैलेंज पार्ट -२

#१५ पार्ट सीरीज चैलेंज 


" महादेव शिव शंकर की कथाएं , उनमें निहित ज्ञान और प्रामाणिकता "
पार्ट -२ 
*ब्रह्मा का पांचवा सिर *

पहले भाग में आपने जाना कि किस प्रकार निराकार परमात्मा शिव द्वारा त्रिदेव की रचना हुई! 
ब्रह्मा को सृष्टि निर्माण का कार्य सौंपा गया था, जब विभिन्न जीव जंतु बनाने के बाद ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की प्रथम स्त्री की रचना की तो वह इतनी सुंदर स्त्री थी कि वह स्वयं उस पर मुग्ध हो गए।
 उन्होंने पुत्री का नाम सतरूपा रखा।सतरूपा इतनी सुंदर स्त्री थी कि उनकी निगाह उस से हट नहीं रही थी। चूंकि वह उनकी पुत्री थी !
 सतरूपा उनके इस तरह एक टक देखने से बहुत व्यथित हो रही थी। बहुत बहुत परेशान हो रही थी। 
जब ब्रह्मा का उसे लगातार देखने का क्रम नहीं टूटा 
तब वह ऊपर आकाश में चली गई। लेकिन उसकी इतनी अधिक सुंदरता की वजह से ब्रह्मा की निगाह उस से हट नहीं रही थी। जब वह ऊपर आकाश में चली गई तो ब्रह्मा अपना पांचवा सिर उठाकर उसे एकटक देखने लगे। इससे सतरूपा बहुत अधिक दुखी और परेशान हो गई। 
अपनी तकलीफ को वह महादेव शंकर को बताने के लिए गई। महादेव भी उसकी बात सुनकर बहुत दुखी हुए। उन्होंने उससे कहा मैं तुम्हारी अवश्य मदद करूंगा। उन्होंने ब्रह्मा से जाकर बात की। लेकिन ब्रह्मा की निगाह सतरूपा से हट ही नहीं रही थी।

 चूंकि सतरूपा ब्रह्मा की पुत्री थी और पुत्री पर गलत निगाह रखना गलत बात है। महादेव ने सतरूपा से कहा-" तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध कोई इस तरह घूर कर देखे यह सही नहीं है।"
 महादेव ने ब्रह्मा को कई बार कई तरीके से समझाया। पर वह तो जैसे दीवाने हो गए थे। स्वयं की बनाई हुई पहली स्त्री रचना उन्हें इतना मोहित कर रही थी कि सही गलत सब भूल गए थे।
सतरूपा लाज से गड़ी जा रही थी वो बहुत विचलित महसूस कर रही थी!  
उनकी इस हरकत पर महादेव क्रुद्ध हो गए। सतरूपा शर्म और डर से कांप रही थी। महादेव शिव से उसकी दशा देखी नहीं जा रही थी। अंत में क्रोध में उन्होंने ब्रह्मा की पांचवी गर्दन त्रिशूल से काट दी। ब्रह्मा का पांचवा सिर। जिससे वे सतरूपा को एक टक देख रहे थे।

 कटकर गर्दन महादेव के त्रिशूल पर चिपक गयी ! लेकिन चूंकि ब्रह्मा ब्राह्मण थे और महादेव को ब्रह्महत्या का पाप लग गया था । उनकी गर्दन महादेव के त्रिशूल से छूट नहीं रही थी!
ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए शंकर दौड़ने लगे !दौड़ते दौड़ते वे हरिद्वार ऋषिकेष पहुंचे! वहां पहुंचते ही गर्दन त्रिशूल से छूट गयी ! वहां शंकर ने ब्रह्मा के सिर का अंतिम संस्कार किया और पिंड दान कर मुक्ति की !

उसके पश्चात सतरूपा ने सकुचाते हुए महादेव से विवाह की इच्छा प्रकट की ! 
महादेव ने कहा कि उनके हाथों में संसार के इतने जिम्मेदारी वाले काम हैं जिसे इतने ध्यान से करना होता है कि उनमें पूरी तरह डूब जाना होता है! एक एक जीव के पल पल का ध्यान रखते हुए, उनको कर्म फल देना होता है।मैैं सार से एक क्षण के लिए भी आंखें बंद नहीं कर सकता ! अभी सृष्टि का कार्य जोर पर है ,मुझे वेदों की रचना भी करवानी है! अत: इस वक्त मेरा गृहस्थ जीवन में आना संभव नहीं है! परन्तु सतरूपा तो महादेव को दिल दे बैठी थी ! उसने कहा -मैं आपके अलावा किसी और का वरण नहीं कर सकती!  
महादेव ने कहा - तब तुम्हें इंतजार करना होगा! 
सत युग के मध्य में ब्रम्हा का पुत्र दक्ष होगा ! 

तुम आदि शक्ति हो सूर्य की शक्ति से उत्पन्न पहली स्त्री संरचना ! दक्ष मुझसे वरदान मांगेगा कि उसके घर आदि शक्ति पुत्री के रूप में जन्म ले , तब तुम उनकी पुत्री सती के रूप में जन्म लोगी ! तब मेरा विवाह तुमसे होगा ! 
सतरूपा बोली -" ठीक है मैं आपके अतिरिक्त किसी और से विवाह नहीं कर सकती हूं अत : पुन: जन्म लेने के लिए मुझे ये दे त्यागना होगा ! 
सतरूपा ने तब योगबल से स्वयं को भस्म कर लिया ! 
यहां से ब्रह्मांड की फर्स्ट लव स्टोरी की शुरूआत हुई!  ब्रह्मांड की पहली स्त्री , परमात्मा शिव की आदिशक्ति और महादेव शंकर साकार शिव तो यह तो होना ही था जब आत्मा आदिशक्ति की है तो दिल शिव पर ही तो आएगा !  
* शिव -शक्ति एक रूपेण नम:* 
यहां पहली बार शिव का शक्ति से और शक्ति का शिव से वादा हुआ कि -" सिर्फ तुम और कोई नहीं चाहिए! " 
और उसके बाद सदैव वह वादा निभाया !
क्या लव है और क्या लव स्टोरी है। वाह 

ज्ञान : - जो जैसे कर्म करता है उसे वैसा ही फल मिलता है! शिव शंकर न्याय के देवता हैं, शरणागत के रक्षक , सहायक , अधर्मी को दंड देने वाले! 
हमेशा अच्छाई से ही प्रेम का उदय होता है। 

प्रमाणिकता :- ऋषिकेष में ब्रह्मकपाल नाम से स्थान आज भी विद्यमान है जहां पर लोग अपने पितरों का दाह संस्कार और पिंडदान करते हैं!  

अपर्णा " गौरी " शर्मा

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3 Comments

Alka jain

30-Jun-2023 07:16 PM

Nice one

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Mahendra Bhatt

29-Jun-2023 09:08 PM

👌

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